
Sign up to save your podcasts
Or
भारत में सब से पहले "गिग वर्क" शुरू करने वाले कम्पनियों में नाम आता है ऊबर, ओला का । यह “मोबिलिटी अग्गरेगटर” कम्पनी टैक्सी ऐप के माध्यम से एक टैक्सी चालक और एक यात्री को जोड़ती हैं, जिस में हर राइड के पैसे में से कंपनी एक कमिशन लेती है। ड्राइवर प्रति राइड कमा सकते हैं, और कम्पनी उन्हें अपना कर्मचारी नहीं बल्कि स्वनियोजित कारोबार , या आत्मनिर्भर फ़्रीलांसर का दर्जा देती है।
भारत सरकार के नीति आयोग के एक रिपोर्ट के मुताबिक प्लाट्फ़ोर्म कम्पनियों टैक्सी ऐप ने 2010 और 2018 के बीच राइड्ज़ द्वारा बीस लाख रोजगार के मौके उपलब्ध कराए हैं। लेकिन इस तेज़ी से तरक्की पर चलने वाले व्यापार में आज इन कंपनियों में ड्राइवर जिन्हें कम्पनी “ड्राइवर पार्ट्नर” या साथी कह के बुलाती है, खुद को इस काम से लाभ, इसके नियम, तरीकों में कितना सहभागी बन पाते हैं?
इन सब के अलावा एक बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल पे हम इस एपिसोड में चर्चा करेंगे की इन मोबाइल की इन मोबाइल टैक्सी अग्ग्रेगेटर में महिलाओं की भागीदारी कितनी है, उन्हें किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और उन्हें कम्पनी कितना सहयोग देती है?
“काम की ज़िंदगी" मिनी - सीरीज के दूसरे एपिसोड में होस्ट अनुमेहा यादव ने रुक्मिणी से बातचीत की, जो की ऊबर के साथ ड्राइवर साथी के तौर पर पिछले चार साल से दिल्ली में गाढ़ी चला रहीं हैं।
See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.
भारत में सब से पहले "गिग वर्क" शुरू करने वाले कम्पनियों में नाम आता है ऊबर, ओला का । यह “मोबिलिटी अग्गरेगटर” कम्पनी टैक्सी ऐप के माध्यम से एक टैक्सी चालक और एक यात्री को जोड़ती हैं, जिस में हर राइड के पैसे में से कंपनी एक कमिशन लेती है। ड्राइवर प्रति राइड कमा सकते हैं, और कम्पनी उन्हें अपना कर्मचारी नहीं बल्कि स्वनियोजित कारोबार , या आत्मनिर्भर फ़्रीलांसर का दर्जा देती है।
भारत सरकार के नीति आयोग के एक रिपोर्ट के मुताबिक प्लाट्फ़ोर्म कम्पनियों टैक्सी ऐप ने 2010 और 2018 के बीच राइड्ज़ द्वारा बीस लाख रोजगार के मौके उपलब्ध कराए हैं। लेकिन इस तेज़ी से तरक्की पर चलने वाले व्यापार में आज इन कंपनियों में ड्राइवर जिन्हें कम्पनी “ड्राइवर पार्ट्नर” या साथी कह के बुलाती है, खुद को इस काम से लाभ, इसके नियम, तरीकों में कितना सहभागी बन पाते हैं?
इन सब के अलावा एक बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल पे हम इस एपिसोड में चर्चा करेंगे की इन मोबाइल की इन मोबाइल टैक्सी अग्ग्रेगेटर में महिलाओं की भागीदारी कितनी है, उन्हें किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और उन्हें कम्पनी कितना सहयोग देती है?
“काम की ज़िंदगी" मिनी - सीरीज के दूसरे एपिसोड में होस्ट अनुमेहा यादव ने रुक्मिणी से बातचीत की, जो की ऊबर के साथ ड्राइवर साथी के तौर पर पिछले चार साल से दिल्ली में गाढ़ी चला रहीं हैं।
See sunoindia.in/privacy-policy for privacy information.
5 Listeners
9 Listeners
0 Listeners
14 Listeners
0 Listeners
3 Listeners
10 Listeners
0 Listeners
2 Listeners
1 Listeners
3 Listeners
0 Listeners
5 Listeners
0 Listeners
1 Listeners
1 Listeners
0 Listeners