कल थी काशी, आज है बनारस

काशी गलियों का एक प्राचीनतम नगर-3


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नमस्ते मित्रों सभी कुशल मंगल से हैं ऐसा मानकर महादेव और अपने घर काशी से जुड़ी कुछ जानकारी और रहस्य ले कर एकबार फिर आपकी दोस्त और होस्ट बनारसी सिंह आपके podcast पर हाजिर हूं। इस एक माह में अनेक कार्य हुए। बनारस जाना हुआ 15 दिन का समय पुनः मिला काशी में रहने और जीने के लिए। इसबार बाबा का बुलावा था। महाशिवरात्रि काशी में ही मनाया gya। काशी की गली का आनंद उठाने के अनेक अवसर मिले। गोविन्द पूरी गली जो आपको घुंघरानी गली से ले जाकर बांस फाटक तक ले जाती हैं और बांस फाटक इलाके की मणिकर्णिका गेट के सामने वाली गली आपको गिरजाघर किदवई गली से किदवई इलाके में ले जाती है जो रजाई ग़द्दा और इलेक्ट्रानिक आइटम का थोक मार्केट है। ऐसी ही अनेक गलियां हैं हमारी काशी में जो मोह से मोक्ष और माया से मुक्ति की ओर ले जाती हैं। आपको क्या चाहिए यह चुनाव आप ही करते हैं। खैर खिड़कियां गली, चूहा गली, कामेश्वर महादेव मंदिर गली, रानी कुआ गली, मणिकर्णिका गली सौ से अधिक गलियां जो मुख्य मंदिर और घाट और बाजार को आपस में जोड़ती हैं। यह काशी की संस्कृति और दिव्यता की पहचान hain। यह पतली दुबली संकरी कहीं चौड़ी कहीं विस्तार लिए कहीं शून्य में ले जाती हैं। इनको समझने का दावा कोई नहीं करता इनको जानना इतना आसान नहीं। ये 500 साल पुरानी भी हैं और अति नवीन भी। यह सीधी हैं जलेबी सी। टेड़ी हैं किसी रस्सी सी। यह उलझन को सुलझाती हैं और कभी आपको उलझाती भी हैं। कभी शुरू होते ही खत्म हो जाती हैं to कभी इनका ओर और छोर मिलना मुश्किल होता है। इसलिए यह काशी की गलियाँ हैं। महादेव तक जाने के अनेक मार्ग सी कठिन और सरल हैं यह गलियां । स्वागत है आपका इन गलियां में गलियां के शहर काशी में। सात पूरी में अति महत्वपूर्ण काशी शहर जो प्राचीन और आधुनिक दोनों है। प्राचीन है अपनी गलियों और संस्कृति के लिए और आधुनिक है परिवर्तन को स्वीकार करने के कारण। उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थलों की पहचान से परे भारत की या यूं कहें विश्व की प्राचीनतम सभ्यता को समेटे हुए धरती पर चिरकाल से बनी हुई इस पुण्य धरा काशी को नमन है। जो कलियुग में मानव मुक्ति का एक मात्र द्वार है। जहां रहने और जन्म से ही आप मोक्ष के पात्र बन जाते हैं। ऐसे जीवंत शहर काशी में प्रवास करना और उसे जीना अति दुर्लभ और शुभकारी है। ज्ञान नगरी, धर्म नगरी, विज्ञान नगरी, स्वर्ग के सुख से परे शिव धाम काशी। जिसका कण कण और हर जड़ और जीवन स्वयं शिव शंभू है। वहां जाने का स्वप्न हर मनुष्य देखता है। पर अनुमती हर किसी को नहीं मिलती। आपके पास वहां जाने का अवसर है अभी जब प्राण शक्ति अपने ओज पर है। जब यह शिथिल होने लगे तब जा कर क्या करेंगे। जीवन का रहस्य काशी में है। एक बार चरण वंदन कर आइये काशी विश्वनाथ का। फिर जिंदगी हो ना हो। दो दिन की जिंदगी है हंस के बीता लो। क्या लेकर आए थे जो लेकर जाएंगे। पैसा घर गाड़ी ज्ञान सब यही रहेगा। केवल कर्म और समर्पण साथ जाएगा। जीवन परिवर्तन है। उसे स्वीकार कर हर पल आनंद में जियो। हर हर महादेव।
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कल थी काशी, आज है बनारसBy Banarasi/singh