हर हर महादेव मित्रों swajano...कैसे हो सब. भगवान से प्रार्थना है सभी स्वस्थ और आनंद में हों। मौज और मस्ती का जीवन में प्रवाह बना rahe। लंबे समय से कुछ व्यस्तता में लीन थे। परंतु अपने इस वादे पर पूरा ध्यान tha। इसलिए तैयारी के साथ आए hain। 2022 का आरंभ हो चुका hai। परंतु हमारे सनातन धर्म में नव वर्ष का आरंभ देवी के आगमन से होता hai। चैत्र माह में नवरात्रि के बाद आता है उल्लास और उत्सव देने वाला नया वर्ष। हम मनुष्य हैं। जिनको सीखने और जीने के लिए सब कुछ रचना गया hai। हर मुश्किल से निकल कर हम बेहतर हो जाते हैं। tabhi मानव विकास की इस प्रवाह में सबसे आगे है। खैर विकास और मानव जाति के कल्याण पर कभी और बात होगी। आज आपके लिए कहानी है। काशी के अजूबे मंदिर ki। वह जो मंदिर hai। जहां पूजा नहीं होती। लेकिन लोगों के लिए दर्शनीय है। हाँ मां के शाप से कोई बचा है क्या। माँ का कर्ज उतरने के लिए भगवान स्वयं कितने जन्म ले चुके hain। मनुष्य सब कर्ज चुका सकता है पर माँ के दूध और वात्सल्य का कर्ज कभी नहीं चुका सकता। जिस टेढ़े मंदिर या अजूबे मंदिर की बात कर रही वह है मणिकर्णिका घाट से आगे बढ़ने पर एक झुका हुआ जलमग्न मंदिर दिखेगा। जहां केवल 2 या 3 माह ही पूजा होती है। जिसका गर्भ गृह हमेशा छुपा रहता है Ganga के आंचल mein। ratneshwar महादेव मंदिर काशी करवट कहकर लोगों को भ्रम दिया जाता है। घाटों पर रहने वाले किसी राजघराने के सेवक ने अपनी माँ रतन बाई का दुध का कर्ज उतारने के लिए यह मंदिर बनाया। जो मां के अनकहे शाप से 9 डिग्री तक झुक गया। कभी पूजन योग्य नहीं बन सका। यह साक्ष्य है कि माँ का कर्ज चुकाने के लिए मानव के पुण्य बहुत कम hai। अब की बार जब काशी जाना और कुछ समय घाटों पर बीताना । देखना हर घाट कुछ कहता है। घाट पर पसरा मौन बहुत कुछ बयान कर देता है। ' हर दिशा में कहानी बहती है। यह शिव की पावन धरती है। गंगा के जल से माँ का वात्सल्य झलकता है अन्नपूर्णा मैया के प्रेम से हर जीवन यहां पलता है। सच्चे का बोल बाला है जहां झूठे का मुह काला करते हैं काल भैरव, हाँ काशी के रक्षक हैं शिव के प्रिय पुत्र विनायक। 64 योगिनी करती हैं काशी की सेवा शिव और उमा के धाम में हर प्राणी को मिलता है निर्वाण। ज्ञानी का ज्ञान, अभिमानी का अभिमान काशी में काशी विश्वनाथ रखते सबका ध्यान। हर हर महादेव......शंभू भोले बाबा की जय...