कल थी काशी, आज है बनारस

काशी में कुंड की महिमा part -1


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हर हर महादेव, सब लोग कैसे हो। मस्त स्वास्थ्य और आनंद में। यही चाहिए जीवन में प्रसन्नता बनी रहे बाकी क्या लेकर आए थे जो लेकर जाएंगे। ये वाक्य आप काशी की गालियों मे हर व्यक्ति को बोलते सुनेंगे। भले यू दुकान पर आपको 500 की साड़ी 5000 में बेच दे। यही बनारसीpan है। खैर आज आपको कल थी काशी और आज है बनारस पॉडकास्ट पर काशी के उन महत्व वाले कुंड की कहानी और जानकारी दी जा रही। सब पढ़ कर ही जान लेंगे तो सुनेंगे क्या? फटाफट फोन पर spotify, anchor, google podcast, एप्पल पॉडकास्ट और भी कई है जो लगे वो ऐप्लिकेशन डाउनलोड करिए और उसमें कल थी काशी आज है बनारस नाम के पॉडकास्ट को choose करिए। और वहां आप सुनेंगे 1000 कहानियां बनारस काशी वाराणसी के जीवन यात्रा की। शिव की नगरी काशी, धरती पर सबसे प्यारी काशी। मेरा भारत महान उसमें हमारी शान। यहां जो मिलते ज्ञानी पुरुष महान वो शहर है काशी। उच्च कोटि के ज्ञानी, व्यापारी, अमीर,गरीब, पागल, संगीत, साहित्य मिठाई और पान की खान है काशी। ये केवल मंदिरों और घाटों के लिए नहीं ब्लकि कुंडों और सरोवरों के लिए भी जानी जाती है। इन् जल स्रोतो का क्या महत्व है। इनको क्यों और किसने किसके लिए बनाया? हर सवाल का जवाब इस एपिसोड में मिलेगा। तो lap से ऑनलाइन हो जाइए और ear फोन को उपयोग में लाते हुए करे अपने knowledge को on with बनारसी सिंह। stay tune I have something फॉर यू all. अपने समय को कुछ देर लीजिए थाम क्योंकि सुन रहे कहानी काशी धाम की. काशी नहीं आए तो क्या किया? मन की हर मुराद को लेकर आइये यही से मिलेगी उसकी चाभी। लोlarak कुंड, धर्म कूप और ज्ञान कूप से लेकर धन्वंतरि कूप की महता और मान्यता से कराएंगे आपका परिचय। बाकी क्या आप खुद ही समझदार हो। बाबा की नगरी में बाबा रखते सबका ध्यान। सुनते रहिये सुनाते रहिये शेयर कर दीजिए अपनों से उनको भी पता होना चाहिए। क्या है काशी। क्या थी काशी कब बनी वाराणसी और कैसे कहीं गई बनारस। शिव जी के त्रिशूल पर टिकी काशी में हर दिन है खास। मौका हो तो चले जाना एक बार। सुबह ए बनारस की धुन से होती है वहां भोर और गंगा मैया की आरती से होती है शाम। kachodhi और जलेबी एक bida पान दुपहरिया में लस्सी और शुद्ध शाकाहारी भोजन बैठ करे जलपान। शाम में मित्रों की टोली संग करे नौका विहार और घाट किनारे कैफ हो या ठेला मिलेगा जिवंत स्वाद चाहे खाएं चाट पकौड़े चाहे खाएं रसगुल्ला काला जाम। थक जाए अगर पैर तो घाटों पर ही कर ले आराम। गंगा की निर्मल जल में करे स्नान और बाबा को करे प्रणाम। सारी चिंता को कर दें किनारे जब पहुचे गंगा धाम।
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कल थी काशी, आज है बनारसBy Banarasi/singh