कल थी काशी, आज है बनारस

काशी/ वाराणसी/बनारस: जो है शिव-शिवा लोकप्रिय धाम, एक कहानी काशी नगरी की


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काशी नगर के वाराणसी और फिर बनारस बनने की हजारों वर्षों पुरानी यात्रा से जुड़ी कुछ कहानियों का संग्रह है यह पाडकाॅस्ट. कहानियों का हमारे जीवन से बड़ा गहरा और पुराना संबंध है. जब हम बच्चे थे तो दादी और नानी, दादा, मौसी, ताऊ, ताइ घर के सभी बच्चों को अपने आस पास बैठा कर सोने से पहले कभी राजा की कहानी,कभी परियों की ,तो कभी वीरगाथा, कभी भूतों की तो कभी भक्ति रस से भरी कथा और कहानियाँ सुनाते थे. यह कहानियाँ आपके जीवन को दशा और दिशा देने का काम करती. कहानी सुनना और सुनाना मुझे आज भी पसंद है. यह कहानी एक ऐसे शहर की है जो पौराणिक और पुरातन से भी पुरातन है. जिसका इतिहास इतिहास विषय के जन्म से भी पुराना है. काशी भारत की मोक्षदायिनी और धार्मिक, सांस्कृतिक और कला और ज्ञान का केंद्र है. काशी की इस यात्रा में पहली कहानी काशी के निर्माता और प्रेरणा स्रोत भगवान शिव और उनकी अर्धांगिनी माता गौरी से जुड़ा है. आगे की कहानी में काशी के वैदिक स्वरूप से आरम्भ होकर, आर्य सभ्यता, जनपदीय व्यवस्था भारतीय शासकों से होकर, मुगलकाल में बनारस बनने और फिर अंग्रेजों के काल में आजादी की लड़ाई में बनारस की भूमिका, स्वतंत्र भारत देश के आजाद शहर बनारस की कहानी, फिर आज की काशी और आधुनिक बनारस की कहानियाँ आपके सामने अपनी आवाज में प्रस्तुत करती रहूंगी. आप को काशी और बनारस की कहानियाँ सुनाने वाली इस आवाज यानि मेरे बारे में भी कुछ जानकारी दे ती हूं. मैं बनारस में ही पली हुं. यही मेरी धर्म और ज्ञान भूमि है. यही से जीवन को जाना है. इसी काशी से पत्रकार बनने का स्वपन बुना. काशी ने मुझे चुना और मैनें काशी को. यह प्रेम है. मेरा काशी शहर के लिए और यह काशी नगरी का प्रेम और विश्वास है मुझ पर जो मुझे काशी ने अपनी यात्रा में शामिल किया. बाबा काशी विश्वनाथ मेरे प्रिय प्रभु हैं. जैसे उन्होंने सभी ज्ञान को सप्तर्षि को प्रदान किया और श्रृषिमुनियो ने वेदों की रचना की. वैसे ही महादेव काशी से जुड़ी हर कहानी को आप तक पहुंचाने में मेरा मार्ग दर्शन करेंगे ऐसा मेरा विश्वास है. क्योंकि काशी शिव की नगरी है शिव ही सत्य हैं. सत्य पर विश्वास करना मेरा धर्म है. मेरा धर्म है आपको यह बताना कि इस सृष्टि में कुछ भी ईश्वर और समय से परे नहीं. केवल ईश्वर ही है जो सब जगह है और कहीं भी नहीं. आप सभी को मेरा आमंत्रण है आइए काशी के बनारस बनने की इस यात्रा का आनंद लिजीए और दुसरों को भी सुनाऐं. कहानी चलती रहनी चाहिए क्योंकि काशी सृष्टि के आरंभ से है. जीवन के अंत तक रहेगी क्योंकि यह काशी है जिसे विनाश कर्ता भगवान शिव का संरक्षण प्राप्त है. काशी में अन्नपूर्णा मां का वास है. भैरव काशी के क्षेत्र पाल हैं. संकट मोचन हनुमान सबका मंगल करते हैं और दुर्गा कुण्ड में विराजमान कूष्माण्डा देवी भय और शत्रु का नाश करने वाली है. गंगा के उत्तर तट पर बसी काशी जीवंत और जिंदा शहर बनारस बा. इहां जिंदगी में ठाठ हव. घाटन पर वेदन के पाठ हव. बनारसी घराना के संगीत हव, मिठ्ठ बनारसी पान हव, बनारसी साड़ी और रेशम के भरमार हव. गलियों में बसला बनारस हव कि बनारस में गली हव. घण्टा, घंटी, ताली के ताल हव, ब्रह्मा मुहर्त में जागे वाला, बाबा के नाम गावे वाला इहे त शिव क मोक्षधाम हव. अट्ठासी ठो घाट हव. मणिकर्णिका और हरिश्चन्द्र के तारन घाट हव. आगे और भी बहुत कुछ है काशी में. सुनने के लिए जुड़े मेरे पाडकाॅस्ट काशी के बनारस बनने की हजार कहानी से. गलती के लिए क्षमा करिएगा. बनारसी सिंह को सुनने के लिए आपको धन्यवाद. हर हर महादेव....
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कल थी काशी, आज है बनारसBy Banarasi/singh