Kaavya Tarang

काव्य तरंग // रीतेश खरे // ओपन माइक // नदी है, तो उम्मीद है


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सभ्यताओं की जननी है नदी, उसके हृदय की पीड़ा को शब्द देते हुए, उसे ही उम्मीद का एक आसरा बताते हुए, काव्याभियक्ति दे रहे हैं रीतेश खरे।

आवाज़   -  रीतेश खरे

आलेख   -  रीतेश व रूपेश खरे

कवितायें -  श्री रमेश कुमार 'राजकान्हा' और रीतेश खरे

रिकॉर्डिंग-सम्पादन - विकेश खरे

तकनीकी सहायता - अमित तिवारी

आर्ट वर्क - मनुज मेहता, अमित तिवारी

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Kaavya TarangBy Radio Playback India