नमस्कार मित्रों, कहानियों की एक खेप आप तक आ चुकी है. आज की कहानी काशी की जीवनधारा पतित तपावनी और मोक्ष दायिनी नदी श्री गंगा की. काशी की दिव्यता और बड़ जाती है जब वो गंगा से जुड़ जाती है. गंगा जी बहन हैं पार्वती की. और शिव के जटा में उनका वास है. वो श्री हरि विष्णु के चरणों से उत्पन्न हुई हैं. धरती पर पाप और पापियों के नाश और कल्याण के लिए. धरती पर उनको भागीरथी ले आये. गंगा जब से धरती पर आयी है मनुष्यों के पाप को हरा है और जीवन दान दिया है. राजा सगर के साठ हजार पुत्रों को मोक्ष देने के लिए धरती पर आयी गंगा की एक धारा सदासरवदा से गंगोत्री से लेकर गंगा सागर तक सबका कल्याण करती हैं. गंगा माँ है. वो अपने बच्चों का पालन और पोषण करती हैं. हर हर गंगे. हर हर महादेव.