15 अगस्त 1947 को पहली बार हो या आज की हीरक जयंती को - स्वतंत्रता दिवस हम सभी भारतवासी बहुत ही उल्लास के साथ मनाते हैं। त्योहार की, आज़ादी की खुशी तो हमसभी जरूर सेलिब्रेट करते हैं किन्तु हम उन बलिदानियों को भूलते जा रहे है, जिन्होंने अपनी ज़िंदगियाँ हमारी आज़ादी के लिए कुर्बान कर दीं। हमे लगता है कि हम नही भूले पर जरा ट्राय करें आपको कितने शहीदों के नाम याद हैं, कितनों के जन्मदिन या पुण्य तिथि याद है- जबकि उनकी संख्या हज़ारों- लाखों में है !! आज उन्ही शहीदों की बदौलत हम आज़ाद फ़िज़ा में साँस ले पा रहे हैं। इनकी कुर्बानियों से भारत अब सोने की चिड़िया से सोने का शेर बन चुका है- ऐसे वीर जवानों को सलाम करते हुए उनकी शान में राष्ट्रकवि दिनकर की इक छोटी सी कविता प्रस्तुत है।