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दोस्तों, आखिरकार हम अपनी कहानियों को हिंदी में लेकर हाज़िर हैं। सबसे पहले हम चलेंगे अपने मस्त-मौला दोस्त केंगेरी कण्णन और उनके परिवार के साथ उनके गाँव के बसंत मेले में। इस मेले में खिलौने हैं, खाना-पीना है, और एक circus भी है। उनके घर में सभी को हर साल इस मेले का इंतज़ार रहता है, पर केंगेरी कण्णन ख़ास तौर पर उत्सुक हैं कोकिला दी की मधुर आवाज़ सुनने के लिए। तो चलिए, सभी के साथ में कृष्णपुरम के मेले में।
कोकिला दी के बंगाली लोकगीतों को स्वर और संगीत दिया है हमारी प्रिय दोस्त रिद्धिता चटर्जी ने।
By Hosted by Nidhi and Gautamदोस्तों, आखिरकार हम अपनी कहानियों को हिंदी में लेकर हाज़िर हैं। सबसे पहले हम चलेंगे अपने मस्त-मौला दोस्त केंगेरी कण्णन और उनके परिवार के साथ उनके गाँव के बसंत मेले में। इस मेले में खिलौने हैं, खाना-पीना है, और एक circus भी है। उनके घर में सभी को हर साल इस मेले का इंतज़ार रहता है, पर केंगेरी कण्णन ख़ास तौर पर उत्सुक हैं कोकिला दी की मधुर आवाज़ सुनने के लिए। तो चलिए, सभी के साथ में कृष्णपुरम के मेले में।
कोकिला दी के बंगाली लोकगीतों को स्वर और संगीत दिया है हमारी प्रिय दोस्त रिद्धिता चटर्जी ने।