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हमारे दिमाग़ को शांत रहना जैसे आता ही नहीं। हम सबके अंदर बहुत सारे विचार होते है। कभी कभी तो विचारों की उथल पुथल चलती है। हमारा किसी चीज़ में ध्यान नहीं लगता। ऐसे में क्या करें? इसका उत्तर है - ऐसे में ख़ामोश रहें। अगर हमारा सामना अच्छे और ख़ुशनुमा विचारों से हो तब तो हमें अच्छा लगता है मग अगर इसके विपरीत होता है फिर हम विचलित हो जाते हैं। और शुरू हो जाती है उथल पुथल। और उसी उधेड़ बन में हम कई बार ग़लत फ़ैसले, ग़लत प्रतिक्रिया भी व्यक्त कर देते हैं। We function on auto pilot mode। We act, we react, we judge. And sometimes we get carried away in the waves of emotions feelings which gets converted into heavy turbulence.
You can follow me at:
Facebook: MothersGurukul
Twitter: alpana_deo
Instagram: alpanabapat
Blog: Mothers Gurukul
Email: [email protected]
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हमारे दिमाग़ को शांत रहना जैसे आता ही नहीं। हम सबके अंदर बहुत सारे विचार होते है। कभी कभी तो विचारों की उथल पुथल चलती है। हमारा किसी चीज़ में ध्यान नहीं लगता। ऐसे में क्या करें? इसका उत्तर है - ऐसे में ख़ामोश रहें। अगर हमारा सामना अच्छे और ख़ुशनुमा विचारों से हो तब तो हमें अच्छा लगता है मग अगर इसके विपरीत होता है फिर हम विचलित हो जाते हैं। और शुरू हो जाती है उथल पुथल। और उसी उधेड़ बन में हम कई बार ग़लत फ़ैसले, ग़लत प्रतिक्रिया भी व्यक्त कर देते हैं। We function on auto pilot mode। We act, we react, we judge. And sometimes we get carried away in the waves of emotions feelings which gets converted into heavy turbulence.
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