चलिए आज बात करते हैं कल की। मेरा कल, आपका कल, हम सबका कल। जो बीत गया वो कल और जो आने वाला है वो कल। वैसे तो हम हमेशा ये सुनते हैं, और शायद कहते भी हैं की आज में जियो। आज को बेहेतर बनाओ। मगर हम अपने कल को ले कर बहुत ज़्यादा चिंतित हो जाते हैं। अगर हमने अपने बीते हुए कल में कोई ऐसा काम कर दिया हो जो हमें शायद नहीं करना चिहिए था और उस बात का realization हमें आज हुआ है तो हम उसके विषय में सोचकर दुखी हो जाते हैं। और हमारे आने वाले कल के बारे में बात करें फिर तो पूछिए ये नहीं। ना जाने कितने सपने, plans बना लेते हैं हम। “सपनों पर दुनिया” क़ायम है – मालूम है मुझे लेकिन उन सपनों को हक़ीक़त में बदलने के लिए हमें अपने स्वप्नलोक से निकल कर, वर्तमान में तो आना होगा ना। नहीं तो वो हमारा बीत हुआ कल बन जाएँगे।
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