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कन्हैया नामक बालक नंद और यशोदा के यहां जन्म लिया था। उनका जन्म बृजभूमि में हुआ था और वो यशोदा माता के पास रहते थे। छोटे कृष्णा की नटखट आदतों और प्यारे चेहरे ने उनके दिलों में अपार प्रेम भर दिया था। वे अपने दोस्तों के साथ गोपी वेश में गोपियों को प्रेम करते और उनके साथ मधुर रासलीला करते थे।
एक दिन, वृषभानु राजा के राजमहल में एक विशाल यज्ञ का आयोजन हुआ। इस यज्ञ में सभी गोपों को बुलाया गया था। छोटे कृष्णा भी अपने दोस्तों के साथ यज्ञ में शामिल होने के लिए राजमहल पहुंचे।
यज्ञ के सामान्य नियमों के अनुसार, हर किसी को अपनी प्रिय वस्त्र धारण करके आना चाहिए था। लेकिन कृष्णा ने अपनी प्रिय वस्त्र को खो दिया था। अब वो बहुत परेशान हो गए। वह तुरंत यशोदा माता के पास गए और रोते हुए उन्हें यह बताया कि उन्होंने अपनी प्रिय वस्त्र को खो दिया है।
यशोदा माता, जो उन्हें बहुत प्यार करती थी, ने कृष्णा को बहुत समझाया और उन्हें धैर्य रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा, "बेटा, तुम्हें चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। जब तुम्हारी वस्त्र खो जाती है, तो तुम्हें कुछ और पहनने का एक अवसर मिलता है। अब तुम नई वस्त्र धारण करो और यज्ञ में जाओ।"
कृष्णा ने यशोदा माता की बात सुनी और एक अद्भुत रूप धारण किया। वह एक स्वर्ण के आकार का कवच पहने हुए दिखाई दिया। अब उन्हें बड़ी गर्व हो रही थी और वह यज्ञ में प्रवेश कर गए।
जब यज्ञ के प्रमुख ऋषि ने छोटे कृष्णा को देखा, तो वह उनके आश्चर्य से ओढ़ गए। उन्होंने कहा, "ये कौन बालक है जिसका इतना शानदार कवच है?" सब लोग अचंभित हो गए और छोटे कृष्णा की ओर आकर्षित हो गए।
यज्ञ के दौरान, एक राक्षस ने यज्ञ को बाधित करने की कोशिश की। छोटे कृष्णा ने राक्षस को अपनी आंखों से देखा और उसे अपनी लीलाओं से वश में कर दिया। राक्षस अचंभित हो गया और वहां से भाग गया।
यज्ञ के बाद, सभी लोग छोटे कृष्णा की स्तुति करने लगे। उनके अद्भुत रूप, लीलाओं और शक्तियों की कहानियां बड़ी चर्चा में थीं। लोग यह मानने लगे कि छोटे कृष्णा भगवान विष्णु के स्वरूप में आए हुए हैं।
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि भगवान कभी भी अपने भक्तों की सहायता करने के लिए समर्पित होते हैं। वे हमेशा हमारे साथ होते हैं और हमारी मदद करते हैं, चाहे हम कितनी भी मुश्किलों का सामना कर रहे हों। हमें सिर्फ उनपर विश्वास रखना चाहिए और उनके मार्ग पर चलना चाहिए। गोपाल कृष्णा की लीलाएं हमें प्यार, समर्पण, और विश्वास का संदेश देती हैं।
कन्हैया नामक बालक नंद और यशोदा के यहां जन्म लिया था। उनका जन्म बृजभूमि में हुआ था और वो यशोदा माता के पास रहते थे। छोटे कृष्णा की नटखट आदतों और प्यारे चेहरे ने उनके दिलों में अपार प्रेम भर दिया था। वे अपने दोस्तों के साथ गोपी वेश में गोपियों को प्रेम करते और उनके साथ मधुर रासलीला करते थे।
एक दिन, वृषभानु राजा के राजमहल में एक विशाल यज्ञ का आयोजन हुआ। इस यज्ञ में सभी गोपों को बुलाया गया था। छोटे कृष्णा भी अपने दोस्तों के साथ यज्ञ में शामिल होने के लिए राजमहल पहुंचे।
यज्ञ के सामान्य नियमों के अनुसार, हर किसी को अपनी प्रिय वस्त्र धारण करके आना चाहिए था। लेकिन कृष्णा ने अपनी प्रिय वस्त्र को खो दिया था। अब वो बहुत परेशान हो गए। वह तुरंत यशोदा माता के पास गए और रोते हुए उन्हें यह बताया कि उन्होंने अपनी प्रिय वस्त्र को खो दिया है।
यशोदा माता, जो उन्हें बहुत प्यार करती थी, ने कृष्णा को बहुत समझाया और उन्हें धैर्य रखने की सलाह दी। उन्होंने कहा, "बेटा, तुम्हें चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। जब तुम्हारी वस्त्र खो जाती है, तो तुम्हें कुछ और पहनने का एक अवसर मिलता है। अब तुम नई वस्त्र धारण करो और यज्ञ में जाओ।"
कृष्णा ने यशोदा माता की बात सुनी और एक अद्भुत रूप धारण किया। वह एक स्वर्ण के आकार का कवच पहने हुए दिखाई दिया। अब उन्हें बड़ी गर्व हो रही थी और वह यज्ञ में प्रवेश कर गए।
जब यज्ञ के प्रमुख ऋषि ने छोटे कृष्णा को देखा, तो वह उनके आश्चर्य से ओढ़ गए। उन्होंने कहा, "ये कौन बालक है जिसका इतना शानदार कवच है?" सब लोग अचंभित हो गए और छोटे कृष्णा की ओर आकर्षित हो गए।
यज्ञ के दौरान, एक राक्षस ने यज्ञ को बाधित करने की कोशिश की। छोटे कृष्णा ने राक्षस को अपनी आंखों से देखा और उसे अपनी लीलाओं से वश में कर दिया। राक्षस अचंभित हो गया और वहां से भाग गया।
यज्ञ के बाद, सभी लोग छोटे कृष्णा की स्तुति करने लगे। उनके अद्भुत रूप, लीलाओं और शक्तियों की कहानियां बड़ी चर्चा में थीं। लोग यह मानने लगे कि छोटे कृष्णा भगवान विष्णु के स्वरूप में आए हुए हैं।
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि भगवान कभी भी अपने भक्तों की सहायता करने के लिए समर्पित होते हैं। वे हमेशा हमारे साथ होते हैं और हमारी मदद करते हैं, चाहे हम कितनी भी मुश्किलों का सामना कर रहे हों। हमें सिर्फ उनपर विश्वास रखना चाहिए और उनके मार्ग पर चलना चाहिए। गोपाल कृष्णा की लीलाएं हमें प्यार, समर्पण, और विश्वास का संदेश देती हैं।