कर्म किसी का सगा नहीं ,कर्म ही कर्त्तव्य या प्रत्येक जीव का कर्म ही कर्तव्य होता हैं। मनुष्य के अच्छे कर्म सेवा, सत्य, सत्कार और भक्ति।इसी प्रकार बुरे कर्म झूठ बोलना,निंदा करना ,किसी को कष्ट देना और अपमान करना। आइए जानते हैं कि मनुष्य के साथ सिर्फ कर्म ही जाते हैं और कुछ नहीं। जया किशोरी जी।