सृष्टि के आरंभ से ही ये बहुत विवाद का विषय रहा है... की जब जब जो जो होना है, तब तब तो तो होना है अर्थात जो लिखा है हमारे भाग्य में वो होकर ही रहता है तो हम कर्म के भरोसे रहें या भाग्य के भरोसे, इंसान पूरा जीवन इसी द्वंद में जीता है कि वो कर्म करे या भाग्य के भरोसे रहे.... कर्म और भाग्य पर प्रकाश डालती मेरी नई रचना