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क्यों जरुरी है समता को धारण करना?
The importance of maintaining inner balance
हर मनुष्य के लिए अपने संतुलन में एक योगी की तरह स्थिर होना आवश्यक हैअन्यथा जीवन में सुख व आनंद की अनुभूति नहीं हो पाती। भगवान बुद्ध ने अपने दर्शन में सम्यक योग की बात की है जिसे स्वर्ण मार्ग या मध्यम मार्ग कहा गया है। भगवान कृष्ण ने भी गीता में नासाग्र दृष्टि की बात की है जहाँ मन को टिकाने पर जोर दिया है। तो क्यों आवश्यक है समता को धारण करना और क्यों किसी भी वस्तु या भाव की अति से मनुष्य को बचना चाहिए?
watch here https://youtu.be/g3uLVb-Ma3M
By Dr. Archika Didiक्यों जरुरी है समता को धारण करना?
The importance of maintaining inner balance
हर मनुष्य के लिए अपने संतुलन में एक योगी की तरह स्थिर होना आवश्यक हैअन्यथा जीवन में सुख व आनंद की अनुभूति नहीं हो पाती। भगवान बुद्ध ने अपने दर्शन में सम्यक योग की बात की है जिसे स्वर्ण मार्ग या मध्यम मार्ग कहा गया है। भगवान कृष्ण ने भी गीता में नासाग्र दृष्टि की बात की है जहाँ मन को टिकाने पर जोर दिया है। तो क्यों आवश्यक है समता को धारण करना और क्यों किसी भी वस्तु या भाव की अति से मनुष्य को बचना चाहिए?
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