यह हमारे पॉडकास्ट का दूसरा ऑडियो है जहां हमने कविता \"लकीरें\" को विस्तार से समझाया है और बताया है कि किस बारे में यह कविता है। यह कविता स्वयं के द्वारा रचित एक छोटा सा लेख है जो जिंदगी की कशमकश को दर्शाता है। यह उन पलो को दर्शाता है जब हमें एक किरण नजर आती है और फट से हम उसी और भागने लगते हैं, सब भूलकर सिर्फ उस और चलने लगते हैं। धीरे-धीरे हम उसे माहौल में ढलने लगते हैं और सब एक सपना जैसा लगता है। लेकिन एक सिक्के के दो पहलू होते हैं वैसे ही जब अतम्मन को समझने की सूझ- भूज आती है तो सही गलत का फर्क समझ में आता है और तभी कुछ टूटने का शोर थोड़ा तेज सुनाई देता है। और वह सपना अब इतना लंबा लगने लगता है कि मानो खत्म होने का इंतजार अनंत हो। फिर मन कहता है की ठहर जाना चाहिए लेकिन एक और मन यह भी कहता है की एक दौड़ लगाई जाए। इस ही कशमकश में हम भूल जाते हैं कि हम तो किसी की मुट्ठी में बंद है और फिर आजादी की फुहार लगाते हैं। लेकिन वक्त के साथ जीवन का अंधेरा भी बढ़ता ही जाता है और फिर एक समय ऐसा आता है कि हम खुद को भी नहीं पहचान पाते है।
यह कविता हिमाक्षी अखंड द्वारा रचित चोटी सी व्याख्या है जीवन के एक अनोखे रोचक किस्से की ।
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