कल थी काशी, आज है बनारस

Lolark कुंड की कहानी जहाँ लगता है सन्तान प्राप्ति के लिए लखा मेला


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को नहीं जानत हैं कपि संकटमोचन नाम तिहारो.... संकट मोचन मंदिर में जब आप सुबह और शाम जाते हैं तब यह संकट मोचन हनुमाष्टक आप सुनते हैं जो संत तुलसी ने अपने प्रिय प्रभु हनुमान जी के लिए लिखा. संकटमोचन नाम जरूर श्री राम ने दिया हनुमान जी को पर उसे जग में अमर किया गोस्वामी तुलसीदास ने. तुलसी दास जी ने जो सेवा की श्री राम और हनुमान जी की उसी भक्ति से वो काशी का एक घाट बन कर अमर पुरी काशी और संसार में अमर हो गये. उनकी रचनाओं ने उनकी बुद्धि ने उनको अमर कर दिया. मानव शरीर और जीवन से जुड़े सब भाव और सुख दुःख सह कर भी रामबोला नामक बच्चा ईश्वर को पाकर कैसे तुलसी दास से गोस्वामी तुलसीदास बन गया. इतना धैर्य और इतना विश्वास केवल एक भक्त में ही हो सकता है. जो अपने आराध्य को खुद तक खींच लाये. फिर वही होता है जो तुलसीदास जी के साथ हुआ. यह रथयात्रा का समय है जहाँ असि घाट पर जगन्नाथ मंदिर में यात्रा के बाद मेला लगा होगा, वही तुलसी घाट पर श्री कृष्ण जन्म उत्सव के लिए लखी मेला और नाग नथैया के आयोजन की तैयारी चल रही होगी. मैनें कहा था यह शहर बनारस है जो आत्मा से काशी है. हर दिन यहाँ उत्सव है. यह महाश्मशान वाशी शिव बाबा की काशी है. यहाँ जीवन में आनंद है. और मृत्यु अमरता प्रदान करती है तभी तो तुलसी जी आज बाबा धाम में चार सौ साल बाद भी जीवित हैं. इसलिए बाबू मोसाय जिंदगी लंबी नहीं बड़ी होनी चाहिए. कर्म प्रधान है. कर्ता को अमर कर देता है. कोरोना काल में मेले लगेंगे पर हर किसी को मिलकर इस कोरोना से लड़ना और हराना है. यही तो सीख है जीवन से हमें मिलती कि चार दिन की जिंदगी है सुबह शाम बस बाबा का नाम ले और मौज में गुजार दो. किसी को मदद कर दो किसी से मदद ले लो. क्या लेके आये थे क्या लेकर जाना है जो लिया यही से लिया सब यही छोड़ जाना है, इसलिए तो बनारस में लोग गमछा में खुश. चार कचोड़ी और सो ग्राम जलेबी सट से उतार के मगही पान चबा के अपनी धुन में खुश रहते हैं. क्योंकि यहाँ महादेव सबका ध्यान रखते हैं. अन्ना पूर्णा माई सबका पेट भर देती हैं भैरो बाबा सबका दुरूस्त रखते हैं, दुर्गा जी सबको निरोगी तो हनुमान जी सबका संकट हरते हैं. गुरु बृहस्पति ज्ञान देते हैं. श्री हरि ध्यान देते हैं. गंगा के घाट पर सूरज और चांद अपनी डयूटी करते हैं. मंदिर के घंटे नकारात्मक शक्ति को भगाती हैं. तो अघोरी बाबा लोग सब काली शक्ति को मुट्ठी में रखते हैं. डोम राजा जहाँ अंत क्रिया में आपके साथ वैतरणी तक पहुचाते हैं वही काशी के पंडा लोग काशी में बाबा के दर्शन और इतिहास बता कर जीवन चलाते हैं. नाविक आपको गंगा पार कराते हैं, अलकनंदा क्रूज रविदास घाट से चल कर राजघाट की छटा का बखान करती है, गंगा मां की संध्या आरती दिखाती हैं. गंगा की निर्मल और निरझर धारा मोक्षयिस्यामि के लिए ही बस काशी आती है. यहाँ असि और वरुणा नदी से मिलकर वाराणसी बनाती हैं. पच गंगा घाट पर यमुना और सरस्वती बहनों संग मिलकर गंगा सागर की ओर चली जाती हैं. आज बस इतना ही कल फिर कुछ और कहानी और रहस्य... तब तक के लिए अपने वाचक बनारसी सिंह को आज्ञा दें. हर हर महादेव...
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कल थी काशी, आज है बनारसBy Banarasi/singh