सरुली बहुत तेजी से भागीती हुयी गाँव के चोक तक पहुंची और हांफते हुए चिलाने लगी बिदिया को भालू ने उठा लिया है जल्दी चल कर उसे बचाओ नहीं तो वो उसे मार देगा जल्दी कुछ करो जल्दी बचा लो बिंदिया को
ये कहानी हैं जोशीमठ के एक गाँव की यह गाँव जोशिमठ बाजार से थोड़ी ही दुरी पर है गाँव के अधिकतर लोग खेती करते हैं और पशु पालते हैं और पशुवों के लिए चारे के लिए जंगल में उग रही घास और पत्तियों पर निर्भर रहते हैं अधिकतर सभी घास लेने के लिए महिलाएं ही जंगल जाती हैं
बिंदुली बहुत ही होनहार बालिका है वह अभी B.Sc फाइनल इयर में पढ़ती है और जिस दिन कॉलेज की छुट्टी होती है उस दिन माँ को मदद करने के लिए माँ के साथ घास लेने उनके साथ जंगल चली जाती है
एक दिन की बात है जब कॉलेज की छुट्टी थी तो बिंदुली अपनी माँ और अन्य महिलाओं के साथ घास लेने के लिए जंगले गयी हुई थे
एकसाथ जंगल जाने में कई फायदे होते हैं एक तो साथ बना रहता है काम में मन लगा रहता है और क्यूंकि की जंगल में कभी कभी जंगली जानवरों जैसे गुलदार, बाग़ आदि से सामना होता है तो वो ज्यादा लोगों को देख भाग जाते हैं
जंगल गाँव से लगा हुवा था बस मुस्किल से 500 मीटर की चढाई के बाद उन सभी ने घास काटना शुरू कर दिया कुछ आपस में बात कर रहे थे कुछ मस्ती में पहड़ी गीत गाते हुए घास काट रहे थे
बिंदिया और उसकी माँ गदरे के किनारे गदेरा जो की पहड़ी नाला है के पास में ही एक दुसरे से थोड़ी दुरी पर ही घास काट रहे थे बिंदिया घास काट काट कर अपनी पीठ पर लगी बांस की लम्बी से टोकरी जिसे सोलटा बोलते हैं उसमें डालने में व्यस्त थी की अचानक बिंदिया के सामने एक भालू आ गया माँ बचाओ माँ बचाओ बिदिया बस इतना ही बोल पाई थी की भालू ने बिदिया को सोलटा और उसके कपड़ों सहित पकड़ अपनी गुफा में खींच लिया और उसे अन्दर छोड़ कर खुद बहार आ कर बैठ गया बिंदिया चिलाने के अलावा कुछ नहीं कर पाई अचानक हुए इस हमले में बिंदिया की घास काटने की दरांती भी हाथ से छूट गयी थी भालू ने इतनी फुर्ती से या काम किया था
मेरी बेटी को भालू खींच कर अपनी गुफा में लगाया
कोई बचाओ मेरी बेटी को
कोई बचाओ मेरी बेटी को
माँ भी चिल्लाने के सिवाय कुछ नहीं कर पाई
पहाड़ों में रहने वाले अधिकतर लोग जंगली जानवरों के हमले में सबसे जयादा भालू के द्वारा किये गए हमले में ही घायल होते हैं
गुफा के बहार धुप खिली हुयी थी और अचानक अँधेरे में आने के कारण बिंदिया को बहुत अँधेरा लग रहा और कुछ दिखाई नहीं दे रहा था बिंदिया को लगा की आज उसका यह आखरी दिन है बिंदिया जानती थी की मादा भालू वर्ष के इस समय अपने बच्चों के साथ भोजन की तलाश में निचले इलाकों में अति है हो सकता है की गुफा में और भी भालू हों
बिंदिया का दिल डर के कारण बहुत जोरी से धड़क रहा था उसे यकीन ही नहीं हो रहा था की यह सच में घटित हो रहा है थोड़ी देर में बिंदिया की आँखों को गुफा में साफ़ साफ़ दिख रहा था वहाँन कोई और भालू नहीं था बिंदिया ने थोड़ी रहत की सांसं ली बिदिया को वह भालू गुफा के मुह पर बैठा दिख रहा था
उसे सभी महिलाओं की आवाज भी सुनाई दे रही थी सारी महिलाएं एक साथ इकठा हो गयी थी सबने भालू को भागने के लिए शोर मचाया पत्थर फेंके पर भालू टस से मस नहीं हुवा वह भालू बहुत बड़ा था बिंदिया की माँ के आँखों से लगातार आंसूं बह रहे थे वह अपने आप को कोष रही थी
मेरा दिमाग ख़राब था जो अपनी फूल सही बच्ची को साथ लाई
हे विधाता हमने तुम्हारा क्या बुरा किया जो तुमने मेरी बच्ची को इतना बड़े भलू के हवाले कर दिया
एसा करना ही था तो बिंदिया की जगह मुझे भालू के आगे कर देते
हे ईस्टदेव मै उचाणा करती हूँ की मेरी बेटी यदि सुरक्षित बच जायगी तो मै तुम्हारे नाम का पूजन करूंगी प्रशाद बांटूगी
हे राजराजेश्वरी भगवती नंदा माँ मेरी बच्ची को बचा ले
भालू ज़्यादातर दिन के समय ही सक्रिय होते हैं, । इनकी सूंघने की शक्ति बहुत तीव्र होती है। भालू तेज़ी से दौड़ सकते हैं ये अक्सर ग़ुफ़ाओं या ज़मीन में बड़े गड्ढों में अपना घर बनाते हैं।
यह भालू जिसने बिंदिया को गुफा में अन्दर कैद कर लिया था वास्तविकता में आम देखे गए भालुओं से बड़ा था वो वहां कब आया था और कब से रह रहा था किसी को नहीं पता था
इस लिए उन महिलाओं में से सबसे फुर्तीली और जवान महिला सरुली ने गाँव की तरफ सहयता के लिए दौड़ लगा दी बाकि महिलायं वहीँ रुकी रही जब तक की सहयता नहीं पहुँच जाती
गुफा से बिंदिया की भी आवाज आ रही थी फ़िलहाल वह सुरक्षित है भालू अभी भी गुफा के बहार बैठा था यदि वो वहां से भागने की कोशिश करती तो भालू हो सकता है उस पर हमला कर देता
सभी महिलाओं ने आवाज लगा कर