राम में पार्वतीजी को शंका थी किन्तु रामके नाममें उनका विश्वास दृढ़ विश्वास था। प्रणवमें केवल संन्यासियों का अधिकार है और वह केवल मोक्ष देता है , किन्तु रामनाम में सबका अधिकार है और यह भोग मोक्ष दोनों देता है। यह सर्वदा सबके लिये सुलभ भी है , सुखद भी।