दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

मानस, बाल. 6.3-5 गुण-दोष परस्पर मिले हैं। प्रत्येक वस्तु गुण-दोष मिश्रित है।


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जड़ चेतन प्रत्येक वस्तु गुण-दोष मिश्रित है। यहां तक कि माया तथा ब्रह्म और जीव तथा ईश्वर भी परस्पर मिले हुये हैं। नीर-क्षीर विवेकी संत वेद शास्त्र के अनुसार गुण और दोष का निर्धारण कर समाजका मार्गदर्शन करते हैं।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati