बन्दौं नाम राम रघुवर को। हेतु कृसानु भानु हिमकर को।। बिधि हरिहरमय बेद प्रान सो। अगुन अनूपम गुन निधान सो।।1।। यहां "रघुवर" शब्द राम का पर्यायवाची न होकर विशेषण है। इससे अन्य दो राम परशुराम और बलराम से दशरथनन्दन राम की विशिष्टता बतलाई गयी है। वेद ब्रह्मा विष्णु और शिव से ओतप्रोत हैं। उन वेदों का प्राण है प्रणव। प्रणव और राम एक ही हैं।