रामजी भक्तवत्सल हैं। भक्तों के दोष पर ध्यान नहीं देते। जिस अपराधके कारण बालि का वध किया वही अपराध तो बादमें सुग्रीव और विभीषण ने भी किया ! फिर भी रामजी ने उन्हे गले लगा लिया। इतना ही नहीं अयोध्या वापस आकर भरे राज दरबार में उनकी प्रसंशा भी किये। अनुज वधू पुत्री समान होती है तो अग्रज वधू माता समान होती है। सुग्रीव ने बडे़ भाई बालि की पत्नी तारा को और विभीषण ने रावण की पत्नी मन्दोदरी को अपनी पत्नी बना लिया। रामजी ने इस दोष पर ध्यान नहीं दिया। "जेहि अघ बधेउ व्याध जिमि बाली। फिरि सुकंठ सोइ कीन्हि कुचाली।। सोइ करतूति बिभीषन केरी। सपनेहुँ सो न राम हियँ हेरी।।"