श्री कृष्ण ने कहा था योग यानि की पूर्णता का वो दुर्लभ ज्ञान जो समय के आरंभ में उन्होंने ने सूर्यदेव को दिया था समय के साथ कहीं लोप हो गया। गीता उसी ज्ञान की पुनर्स्थापना थी। आज पाँच सहस्र वर्ष बाद, फिर से हमारे संस्कृति के इस अद्भुत दर्पण महाभारत पर कुतर्कों, निराधार प्रसंगों, प्रपंचों और काल्पनिक कथाओं का एक ऐसा मकड़जाल, एक ऐसा आवरण जम गया है की वो महान सांस्कृतिक दस्तावेज एक मिथक सामान दिखने लगा है।
आज कृष्ण की भांति ही हमे पुनः हमारे उस संस्कृति विरासत की पुनर्स्थापना करनी है। और इस प्रयास में मैं, विवेक दत्त मिश्र ३० सितंबर २०२२, से हर हफ्ते आपके साथ मिल कर इन मकड़जालों, को हटाने का प्रयत्न करेंगे और समझेंगे की क्यों ५००० बाद भी ये दर्शन हमारे लिए सर्वकालिक सर्वदेशीय है — contemporary and relevant.
३० सितंबर से हर हफ्ते, माहभारत एक खोज — decoding Mahabharata with Vivek, यानि मेरे साथ।