द्रौपदी का दंभ ही महाभारत का कारण था...
अंधे का पुत्र अंधा...
मैं सूत पुत्र से विवाह नहीं करूंगी...
अधम जातियों से थर थर कांपते तुम्हारे प्राण... छल से मांग लिया करते हो अंगूठे का दान
मैं सिर्फ छत्रीय और राजपुत्रों को ही शिक्षा देता हूँ
अगर धृतराष्ट्र राजा था तो दुर्योधन क्यों नहीं...
बर्बरीक महाभारत काल का सर्वाधिक शक्तिशाली योद्धा था
बिना छल के अर्जुन कर्ण को नहीं हरा सकता था...
यदि कर्ण के पास उसका कवच-कुंडल होता तो तीनों लोक में कोई भी उसे नहीं हरा सकता था...
अंधे धृतराष्ट्र के साथ अन्याय करने के महापाप के कारण ही भीष्म को सय्यापात होना पड़ा...
आप सभी ने भी इस बातों को अवश्य सुना होगा। कदाचित विश्वास भी करते हों । पर क्या वास्तव में ही ये सब व्यास जी द्वारा प्रसारित महाभारत का हिस्सा हैं? या इनमें से कई वो रचनाएं हैं जिन्हे हम सृजनात्मक स्वतंत्रता का नाम देते हैं? वैसे क्या अंतर है सृजनात्मक और विघटनकारी तत्वों में? क्या सही क्या नहीं?
३० सितंबर से हर हफ्ते — महाभारत एक खोज — क्या सही, क्या नहीं, decoding mahabharata with vivek, यानि की मेरे साथ — आप, मैं, और महाभारत।