01.25.2016 - By Samskrita Bharati
अयि शरणागत-वैरि-वधूवर-वीर-वराभय-दायकरे त्रिभुवन-मस्तक-शूल-विरोधि शिरोधि कृतामल-शूलकरे । दुमिदुमि-तामर-दुन्दुभिनाद-महो-मुखरीकृत-तिग्मकरे जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ६ ॥