क्यो नारी को ही हर रिश्ते मैं ज़िम्मेदार बनाया जाता है क्यो सवालो के कटघरे मे उसे ही खड़ा रखा जाता है ।कोई उसकी मजबूरी ,ज़िम्मेदारी नही समझता ।कोई औरत कभी भी स्वेच्छा से द्रोपदी नही बनना चाहती है।
क्यो नारी को ही हर रिश्ते मैं ज़िम्मेदार बनाया जाता है क्यो सवालो के कटघरे मे उसे ही खड़ा रखा जाता है ।कोई उसकी मजबूरी ,ज़िम्मेदारी नही समझता ।कोई औरत कभी भी स्वेच्छा से द्रोपदी नही बनना चाहती है।