कभी कभी हम बोहोत कुछ समझते है और जो समझते है वो सामने वाला अपना भी समझे। अपने प्यारे इंसान को यही कुछ बाते समझनेकी यह एक छोटीसी कोशिश...! मेरी अपनी लिखी एक कविता...! मैं समझ सकती हूं...❤️ लेखक और ध्वनि मुद्रण सोनाली अहिरे.
कभी कभी हम बोहोत कुछ समझते है और जो समझते है वो सामने वाला अपना भी समझे। अपने प्यारे इंसान को यही कुछ बाते समझनेकी यह एक छोटीसी कोशिश...! मेरी अपनी लिखी एक कविता...! मैं समझ सकती हूं...❤️ लेखक और ध्वनि मुद्रण सोनाली अहिरे.