Krishna Bhajan

man mar liya


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मैं तो उन संतन का दास जिन्होंने मन मार लिया

मन मारा तन बस करा रे हुवा भरम सब दूर

बाहर तो कछु दीखत नाहीं अन्दर चमके नूर

काम क्रोध मद लोभ मार के मिटी जगत की आस

बलिहारी उन संत की रे प्रकट करा है प्रकास

आपो त्याग जगत में बैठे नहीं किसी से काम

उनमें तो कछु अंतर नाही संत कहो चाहे राम

नरसीजी के सतगरू स्वामी दिया अमीरस पाय

एक बूंद सागर में मिल गयी क्या तो करेगा जमराज

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Krishna BhajanBy Himanshu Chauhan