इतिहास पुराण की कथाएं Itihas Puran Ki Kathaye

Meghadoot Part-3 - Yaksh ki Patni (यक्ष की पत्नी)


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एक ओर यक्ष अपनी पत्नी को सन्देश भेजने के लिए मेघ को मनाने में लगा हुआ था और दूसरी ओर उसकी पत्नी विरह में व्याकुल हो रही थी। सौभाग्य से उसकी सखियाँ उसके इस दुःख को बाँटने के लिए हमेशा उपलब्ध होती थीं अन्यथा एकान्त में यक्ष की पत्नी अपने प्राणों का त्याग कर सकती थी। 

यक्ष की प्रतीक्षा में अब तक कई माह गुज़ारते हुए उसकी पत्नी की काया क्षीण होने लगी थी। उसके होंठों का रंग फीका पड़ गया था। उसने बाल सँवारना बन्द कर दिए थे। लगातार रोने के कारण उसकी आँखें सूज चुकी थीं और उसके चेहरे पर बाल बिखरे हुए रहते थे। यक्ष की पत्नी ने अपने आभूषण त्याग दिए थे और उसके चेहरे पर आँसुओं की धार के निशान बन गए थे। 

 

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इतिहास पुराण की कथाएं Itihas Puran Ki KathayeBy Sutradhar