मिट्ठू दिल की बहुत अच्छी लड़की है जो कोई भी उसे जानता है उसे पता है चाहे किसी की मदद करनी हो किसी को कुछ समझाना हो किसी को कुछ बताना हो मिट्ठू हमेसा सबसे आगे होती है
मिट्ठू अपने कॉलेज, मोहल्ले, रिश्तेदारी से लेकर दोस्तों तक में बहुत चर्चित है सब उसे बहुत अच्छा मानते हैं
उसे देख कर लगता था की किसी की मदद करने के लिए जरूरी नहीं की आप धनि हों आप के पास पैसे हों, या आप के पास समय हो
आपके पास केवल एक दिल होना चाहिए जो मिट्ठू की तरह सोचता हो उसकी उम्र कुछ जयादा नहीं थी वह केवल २० या २१ साल की ही होगी
सब लोग उसकी कोमल और दयालु ह्रदय के कायल थे सब उससे बहुत पयार करते थे वह केवल तन की नहीं मन की भी बहुत सुन्दर थी जो भी उससे मिलता उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहता था
हाँ घर की परिस्तिथि बहुत अच्छी नहीं थी एक छोटा भाई था मिट्ठू की मा नहीं थी बच्चपन से पिता ने ही उन्हें पाला था और वे अधिकतर समय घर पर कम और मंदिर में ज्यादा रहते थे
एक दिन की बात है जब मिट्ठू अपने कॉलेज जा रही थी तब उसने देखा एक उसके पिता के ही उम्र का व्यक्ति मुख्य सड़क की और जाने वाले कच्चे रस्ते पर अचेत पड़ा है न जाने वह वहां कब से पड़ा था परन्तु कोई भी उसके पास न तो जा रहा था और न ही वहां रुक रहा था एक बार के लिए तो मिट्ठू भी ठिटक गयी की जाऊं न जाऊं
सहेलियां साथ थी बोली
मिट्ठू यहाँ से चल कोई न कोइ उसे देख ही लेगा
आज इम्पोर्टेन्ट एक्साम है लेट हो रहे है
न चाहते हुए भी मिट्ठू उस व्यक्ति को बिना मदद किये अपनी सहेलियों के साथ आगे बढ़ गयी
सहेलियों के साथ चलते चलते वह सोच रही की उस आदमी को मदद की जरूरत है और यदि समय से उसे हॉस्पिटल नहीं पहुंचाया तो एसा न हो की वह मर जाये और यदि एसा हुवा तो सबसे ज्यादा पाप मुझे लगेगा
क्यूंकि मैंने देख कर भी उसे अन्देखा किया है पता नहीं कोई और समय पर उसकी मदद कर सके की नहीं वह यह सोचती जा ही रही थी तभी उसने निर्णय लिया की वह उस व्यक्ति के पास जा कर उसकी मदद करेगी
हालाँकि उसकी सहेलियों ने उसे बहुत समझाया की परीक्षा बहुत जरूरी है
पर मिट्ठू के लिए दिल में मची उथल पुथल की स्तिथि में वेसे भी उसका परीक्षा में बैठ पाना संभव नहीं था
उसने अपनी सहेलियों से कहा
मै उस व्यक्ति को सरकारी हॉस्पिटल लेकर जा रही हूँ और तुम पुलिस को इन्फॉर्म कर देना
मै उस व्यक्ति को हॉस्पिटल पहुंचा कर वहां से सीधे परीक्षा के लिए पहुँच जाउंगी
और मिट्ठू दौड़ती हुयी उस व्यक्ति के पास पहुंची लोंगो की मदद से उसने वहां उस उठवाकर निकट के सहकारी हॉस्पिटल पहुँचाया
मिट्ठू ने रास्त में उस व्यक्ति के मोबाइल से उसके घर फ़ोन करके उसके बारे में खबर की और यह भी बताया की वह उसे किस हॉस्पिटल में ले गयी है
उस व्यक्ति का बेटा विनय और पुलिस भी हॉस्पिटल पहुँच गयी थी विनय ने बताया उसके पिता लक्ष्मीनारायण रोज की ही तरह टहलने निकले थे और घर नहीं लोटे थे और वे उन्ही का इन्तेजार कर रहे थे जब मिट्ठू का फोन आया
लक्ष्मीनारायण सहर के एक बड़े व्यापारियों में से एक थे विनय ने मिट्ठू को धन्यवाद किया और पुलिस ने भी उसके काम के लिए तारीफ की और अपनी ही गाडी से उसे परीक्षा केंद्र छोड़ दिया
हालाँकि मिट्ठू ४५ मिनट विलम्ब से पहुंची थी
मिट्ठू को उसके आच्छे कार्य के लिए अतिरिक्त समय दिया गया वह संतुस्ट थी की उसने वह कर दिया जैसा उसका मन कर रहा था और तस्सली से अपनी परीक्षा भी दी
परीक्षा देकर जब वह घर जा रही थी तो बहुत खुश थी की आज उसने एक और व्यक्ति की मदद
मिट्ठू ऐसे ही न जाने कितने लोगों की मदद कर चुकी थी और न जाने मिट्ठू के हाथ से और कितनो का भला होना है
कुछ महीनो बाद की बात है की मिट्ठू जब घर पहुंची उसे पता चला की आज मंदिर में जब सब भोज के लिए एकत्रित थे तो मंदिर का एक छज्जा गिर गया और उसमे कई लोग घायल हुए हैं और उन्हें सभी को हॉस्पिटल लेकर गए हैं उसमे मिट्ठू के पिता भी थे
अधिक चोट लगने की वजह से उसके पिता को बड़े प्राइवेट हॉस्पिटल में भेज दिया गया था वह भी उस हॉस्पिटल में पहुँच गयी डॉक्टर से मिलने पर पता चला की उसके पिता के इलाज में बहुत खर्चा होने वाला था
मिट्ठू के घर की आर्थिक स्तिथि इतनी अच्छी नहीं थी और न ही कोई सिंचित धन जो की इस बुरे वक़्त में काम आता
आज भगवन भी मिट्ठू की कड़ी परीक्षा ले रहा था
आज यदि उसके पिता को कुछ हो जाता ह