न्याय समाचार by Scoot Legal Translation & Transcription Services

Narayan Yadav vs. State of Chhattisgarh 2025 INSC 927


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नारायण यादव, एक सामान्य दूधवाला, खुद पहुंचा थाने, FIR दर्ज करवाई और कबूल कर बैठा पूरी वारदात, जो एक मामूली झगड़े से शुरू होकर हत्या तक जा पहुँची। मगर, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया गया कि पुलिस को दिया गया ‘कबूलनामा’ यानी confessional FIR कानून में सबूत ही नहीं मानी जाएगी। न गवाही ठोस, न मेडिकल रिपोर्ट से सीधा कनेक्शन, न जुर्म साबित करने लायक और कोई साक्ष्य। हाई कोर्ट की धारा 300 की Exception 4 की दलील भी सुप्रीम कोर्ट ने नकार दी।सुनिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा #confessionalFIR के नाम पर। #supremecourt

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