उत्तर प्रदेश के चुनाव में जातियों की बात नहीं हो, ऐसा मुमकिन नहीं..हिंदी पट्टी की सियासत में जातीय समीकरण एक जरूरी तत्व है..ऐसे में 2022 के विधानसभा चुनाव जैसे जैसे करीब आ रहे हैं जातियों को लेकर पार्टियों की सक्रियता बढ़ने लगी है।केंद्र में सत्ता में काबिज एनडीए और उसका प्रमुख धड़ा बीजेपी ने पिछले कुछ दिनों से पिछड़े और दलित वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए कई बड़े दांव खेले तो दूसरे दल भी पीछे नहीं है...कोई पिछड़ों-दलितों को मनाने में जुटा है तो कोई अगड़ों-ब्राह्मणों को रिझाने में जुटा है..आज इसी बात पर होगी चर्चा
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इस महत्वपूर्ण चर्चा में शामिल हैं, बीबीसी के पूर्व संवाददाता और राजनीतिक विश्लेषक रामदत्त त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार कुमार भवेश चंद्र. दलित चिंतक रविकांत, और प्रोफेसर सुधीर पंवार