आपका आत्मसम्मान आत्मछवि से तय होता है है
एक नजरिए से देखा जाए तो हमें 85 फीसदी आनंद दूसरे लोगों के साथ सुखद संबंधों से मिलता है। दुर्भाग्य से, 85% दुख भी दूसरे लोगों से ही मिलते हैं। ब्रायन ट्रेसी बेस्ट सेलिंग ऑथर लोक व्यवहार उत्कृष्ट बनना जरूरी है। अच्छी बात ये है कि यह योग्यता सीखी जा सकती है। शर्त सिर्फ इतनी है कि आपको भी वैसा ही व्यवहार करना होगा, जैसा दूसरे लोकप्रिय लोग करते हैं।
मनोवैज्ञानिक हमें बताते हैं कि हम जो भी कार्य करते हैं, वह या तो अपने आत्म-सम्मान को बढ़ाने के लिए करते हैं या दूसरों से इसकी रक्षा करने के लिए करते हैं। हर व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत महत्ता के एहसास के बारे में बहुत संवेदनशील होता है। आत्म- सम्मान का अर्थ यह है कि आप अपने बारे में कैसा महसूस करते हैं, खुद को कितना पसंद करते हैं। आत्म-सम्मान काफी हद तक आपकी आत्म-छवि
से तय होता है। आपके आत्मसम्मान के तीन हिस्से हैं, जो एक-दूसरे को स्पर्श करते हैं।
1. आत्म-छवि का पहला हिस्सा यह है कि आप खुद को कैसे देखते हैं। इससे काफी हद तक चलने, बोलने, व्यवहार करने व दूसरों के साथ करने का तरीका तय होता है।
2. आत्म छवि का दूसरा हिस्सा यह है कि आपके हिसाब से दूसरे लोग आपको किस तरह देखते हैं। यदि आप सोचते हैं कि दूसरे लोग आपको पसंद करते हैं, तो आप खुद को सकारात्मक अंदाज में देखते हैं।
3. आत्म-छवि का तीसरा हिस्सा यह है कि लोग वास्तव में आपको किस तरह देखते हैं और व्यवहार करते हैं। यदि आप स्वयं को आम आदमी मानते हैं और कुछ लोग आपसे मिलने पर ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे आप मूल्यवान और महत्वपूर्ण हों, तो इसका आपकी आत्म-छवि पर सकारात्मक प्रभाव होता है। आप खुद को पहले से ज्यादा यादा पसंद करने और महत्व देने लगते हैं।