Mukesh Kumar Soni

PATANJAL YOGSUTRA SAMADHIPAD(14-26)


Listen Later

स तु दीर्घकालनैरंन्तर्यसत्कारासेवितो दृढ़भूमिः।।1.14।।
दृष्टानुश्रविकविषयवितृष्णस्य वशीकारसंज्ञा वैराग्यम्।।1.15।।
तत्परं पुरुषख्यातेर्गुणवैतृष्ण्यम्।।1.16।।
वितर्कविचारानन्दास्मितारूपानुगमात्संप्रज्ञातः।।1.17।।
विरामप्रत्ययाभ्यासपूर्वः संस्कारशेषोऽन्यः।।1.18।।
भवप्रत्ययो विदेहप्रकृतिलयानाम्।।1.19।।
श्रद्धावीर्यस्मृतिसमाधिप्रज्ञापूर्वक इतरेषाम्।।1.20।।
तीव्रसंवेगानामासन्नः।।1.21।।
मृदुमध्याधिमात्रत्वात्ततोऽपि विशेषः।।1.22।।
ईश्वरप्रणिधानाद्वा।।1.23।।
क्लेशकर्मविपाकाशयैरपरामृष्टः पुरुषविशेष ईश्वरः।।1.24।।
तत्र निरतिशयं सर्वज्ञबीजम्।।1.25।।
स एषः पूर्वेषामपि गुरुः कालेनानवच्छेदात्।।1.26।।
...more
View all episodesView all episodes
Download on the App Store

Mukesh Kumar SoniBy Mukesh Kumar Soni