Yatra

फूल सी कविता (Phool si Kavita)


Listen Later

बहुत दिनों से फूल धरे हैं
घर में टेबल की छत्ती पर
मुरझाए से सिकुड़े सारे
जैसे मेरा मन मुरझाया,
मेरे मन के मुरझाने पर
तुम तो पानी दे आँखों का
कर देती हो ताजा सब कुछ,
फूलों को बोलो क्या दूँ मैं ?
कैसे ताजा करूँ कहो अब
कैसे उनको यह बतलाऊँ,
मेरी आँखों के देखे से
नज़र लगी तो मुरझाता सब,
...more
View all episodesView all episodes
Download on the App Store

YatraBy Ankit Pandey