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Pinjare | Saloni Srivastava | Manvi Ditansh Publication
बहुत शौक़ था बड़े होने का
बहुत शौक था अकेले रहने का
बहुत शौक था पिंजरे से उड़ने का
पर जब निकले तो जाना बड़े कभी हुऎ ही नहीं।।
माँ के साथ ही रहते हमेशा
सबसे अच्छा होता, बड़े होने की होड़ में खुद से दूर और अपने साए से भी दूर आ गए।
बाहर निकले तो जाना, दुनिया किसे कहते हैं अभी तो बच्चे ही थे जिसे हर चीज के लिए माँ चाहिए।
पर ऐसी होड़ की सब छोड़ कर आ गए क्यूंकि बड़े होना था।।
यहाँ कोई समझता ही नहीं, सब नीचा दिखाते है कभी कभी अचानक बहुत याद आती है।
पर कोई साथ ना होता, थक भी जाती हूँ पर कोई हाल ना पूछता।
लगता है सब छोड़ के बस वही पिंजरे मे रहूँ
पर फिर याद आता है कुछ तो शर्ते थी पिंजरे से निकलने की, ऐसे ही नही उड़े हम कुछ तो था...
बड़े होने की होड़ कहाँ लेके आ गई और क्यो?
अभी भी हम बच्चे ही है जिसे हर समय माँ चाहिए और हमेशा चाहिए रहेगी।।
अब और नही होना बड़े...
कभी बता भी नही पाई कि मैं बच्ची ही हूँ अभी,
लगता है आसपास सब बड़े हो गए पर मैं नही हुई।
पर बताती हूँ बहुत याद आती है कभी कभी और गलती करूँ तब ज्यादा।
पर वापस अब उस पिंजरे मे ही आना है, पर वैसे जैसे तुम चाहती थी जो बनाना चाहती थी जिसके लिए इतनी मिन्नतें की थी, उसके लिए भले ही ये बच्ची दुनियादारी सीख के और नाम करके ही आएगी।
पर तुम्हारे साथ बच्चे बनके ही रहना चाहेगी।।
वो पिंजरा ही सबसे खूबसूरत था, है और रहेगा बड़े होने की आँधी ने कहाँ पहुँचा दिया।।
By Manvi Ditansh PublicationPinjare | Saloni Srivastava | Manvi Ditansh Publication
बहुत शौक़ था बड़े होने का
बहुत शौक था अकेले रहने का
बहुत शौक था पिंजरे से उड़ने का
पर जब निकले तो जाना बड़े कभी हुऎ ही नहीं।।
माँ के साथ ही रहते हमेशा
सबसे अच्छा होता, बड़े होने की होड़ में खुद से दूर और अपने साए से भी दूर आ गए।
बाहर निकले तो जाना, दुनिया किसे कहते हैं अभी तो बच्चे ही थे जिसे हर चीज के लिए माँ चाहिए।
पर ऐसी होड़ की सब छोड़ कर आ गए क्यूंकि बड़े होना था।।
यहाँ कोई समझता ही नहीं, सब नीचा दिखाते है कभी कभी अचानक बहुत याद आती है।
पर कोई साथ ना होता, थक भी जाती हूँ पर कोई हाल ना पूछता।
लगता है सब छोड़ के बस वही पिंजरे मे रहूँ
पर फिर याद आता है कुछ तो शर्ते थी पिंजरे से निकलने की, ऐसे ही नही उड़े हम कुछ तो था...
बड़े होने की होड़ कहाँ लेके आ गई और क्यो?
अभी भी हम बच्चे ही है जिसे हर समय माँ चाहिए और हमेशा चाहिए रहेगी।।
अब और नही होना बड़े...
कभी बता भी नही पाई कि मैं बच्ची ही हूँ अभी,
लगता है आसपास सब बड़े हो गए पर मैं नही हुई।
पर बताती हूँ बहुत याद आती है कभी कभी और गलती करूँ तब ज्यादा।
पर वापस अब उस पिंजरे मे ही आना है, पर वैसे जैसे तुम चाहती थी जो बनाना चाहती थी जिसके लिए इतनी मिन्नतें की थी, उसके लिए भले ही ये बच्ची दुनियादारी सीख के और नाम करके ही आएगी।
पर तुम्हारे साथ बच्चे बनके ही रहना चाहेगी।।
वो पिंजरा ही सबसे खूबसूरत था, है और रहेगा बड़े होने की आँधी ने कहाँ पहुँचा दिया।।