Pranshu Kehta hai

पिंजरा । Pinjra : प्रांशु kehta है


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ये कविता का सार मैं आप लोगो से समझना चाहता हूँ, मैंने ये कविता जो सोच कर लिखी थी वो कुछ और था लेकिन बहुत सारे मित्रों ने यह पढ़ कर कुछ और ही अर्थ समझा इसलिए मैं चाहता हूँ आप पढ़े और ख़ुद मेरे साथ इसको साँझा करें ।
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Pranshu Kehta haiBy Pranshu Mehta