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Poetry Podcast | E19 | Radha ka Alaukik Prem | Habib | Pankaj Upadhayay |


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Poetry Podcast | E19 | Radha ka Alaukik Prem | Habib | Pankaj Upadhayay |

Poet: Jai Krishn Chowdhry 'Habib'

Narration & video: Pankaj Upadhayay

Euphony Films Sydney Australia

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राधा का अलौकिक प्रेम

उस वक्त का है किस्सा ,उस वक्त की कहानी गोकुल को छोड़ने की जब कृष्ण जी ने ठानी रो रो के गोपियों ने रुकने की इल्तज़ा की श्रीकृष्ण जी ने लेकिन उनकी न एक मानी जाते हुए कहा यह एक रात आउँगा मैं दोहराऊँगा मैं आकर एक प्रेम की कहानी उस घर में आउँगा मैं पट जिसके सब खुले हों और हो दिया भी जलता इस प्रेम की कहानी दुनियाँ ने खाए पलटे,कितने ही साल बीते यह प्रेम की कहानी भी हो गयी पुरानी श्री कृष्ण जी ने लेकिन अपना ना अहद भूला गोकुल में फिर से आए एक रात नागहानी तूफ़ान चल रहा था बारिश भी हो रही थी सूनी पड़ी थी गलियाँ हर सूं था पानी पानी हर घर पे दी सदाएँ हर दर को खटखटाया किस को पड़ी थी उस पर करता जो मेहेरबानी मायूस होके आख़िर वापिस ही जा रहे थे आयी नज़र दिए की एक सिम्त नौफ़िशानी एक झोंपड़े में देखा बूढ़ी सी एक औरत हाथों से एक दिए की करती थी पासवानी सक्ता में आ गया वो देखा क़रीब से जब बुढ़िया थी उस की राधा और उस के दिल की रानी पुरनम सा हो गया और ज़ोर से चिल्लाया राधा मैं आ गया हूँ सूरत नहीं पहचानी ? सुनने को देखने की ताक़त कहाँ रही थी संसार से परे थी वो प्रेम की दीवानी बेनूर आँखे अब भी राह तक रही थीं और बहरे कान सुनते थे आहटें सुहानी गो बुत बनी खड़ी थी ख़ामोश और आमद सूरत सुना रही थी एक हिज्र की कहानी चेहरे पे झुर्रियाँ थीं और बाल पक चुके थे बाक़ी कहाँ रहा था वो हुस्न वो जवानी वो ग़मनशीन राधा ज़िंदा थीं देखने को मिलने की आस ने ही दे दी थी सख़्तजानी गर्मी हो या कि सर्दी आँधी हों या कि बारिश दिए प्रेम के जलाए उसने सारी ज़िंदगानी प्रीतम की याद में ही रो रो के दिन गुज़ारे बाक़ी कहाँ रहा था आँखों का बहता पानी रो पड़े कृष्ण जी सूरत वो देखते ही थी देखने के क़ाबिल अश्कों की वो रवानी ज़िंदा रहेगी राधा इस प्रेम की बदौलत कब है “हबीब” ऐसा दुनियाँ में इश्क़ फ़ानी

जय कृष्ण चौधरी “हबीब”

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