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Power of Positivity


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हालातों का सबसे बेहतर उपयोग ही खुशी की वजह बनती है
खुशी और सकारात्मकता की तलाश हम सदियों से कर रहे हैं। आज के समय में खुशी के लिए लोग प्रेरक वक्ताओं और सेल्फ-हेल्प किताबों की ओर देखते हैं। लेकिन पहले के समय में दार्शनिक इन सवालों का जवाब देते थे। लेखिका एडिथ हॉल अपनी किताब में लिखती हैं कि कैसे प्राचीन दार्शनिक खासतौर पर अरस्तू खुशी के बारे में बताते थे। अरस्तू कहते थे कि अगर आप खुद को खुश और अच्छा बनाने का प्रशिक्षण देते रहते हैं, अपने सद्गुणों और कमियों पर काम करते हैं, तब आपको अहसास होगा कि खुशी दिमाग की ही एक अवस्था है। आप तभी आनंद में रह सकते हैं, जब अच्छा बने रहने के लिए लगातार कोशिश करेंगे। श्रिंक एंड सागा नामक किताब की लेखिका एंटोनियो मैकारो लिखती हैं कि हम अपने लिए खुद ही चुनाव करते हैं। ऐसे में खुशी या दुख का विकल्प आपके पास होता है। अक्सर ये भी सवाल पूछा जाता है कि दुख में खुशी की बात करना कितना सही है? इस पर लेखक विक्टर ई फ्रैंकल लिखते हैं कि किसी भी परिस्थिति का
सबसे बेहतर उपयोग ही सबसे अधिक मायने रखता है। यानी हालात से सर्वोत्तम पाने की कोशिश। इसके लिए हमें तीन चीजें ध्यान रखनी चाहिए। पहला समस्याओं को सफलता और उपलब्धि में बदलना। अपराध बोध से सबक सीखकर खुद को बेहतर बनाने के लिए बदलना और जीवन की नश्वरता को जानते हुए अपने कामों के प्रति जिम्मेदारी का अहसास रखना। आशावाद किसी पर थोपा नहीं जा सकता न हो किसी को आशावादी बने रहने का आदेश दिया जा सकता है। पर खुशी के पीछे भागने से वह हासिल नहीं होती। यह स्वतः हो आपके जीवन में आती है। इसके लिए कोशिशें करते रहें।
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