सकारात्मक रहकर तेजी से बदलती हैं शरीर की कोशिकाएं
हम लगातार बदलते रहते हैं। ना सिर्फ बाहरी नौर पर, बल्कि अंदरुनी तौर पर भी आप जस 'मैं' को जानते हैं, वह भीतरी तौर पर ल-प्रतिपल बदलती खरबों कोशिकाओं का तला है। इन सेल्स में से कुछ सप्ताह भर जीवित रहती हैं, तो कुछ महीनों नई सेल्स का निर्माण शरीर के अंग पर निर्भर करता है। स्ट बड्स तो कुछ घंटों तक ही रहती हैं। इट ब्लड सेल्स दस दिन रहती हैं। यहां तक के हड्डियां भी बार-बार नए सिरे से बनती "। जब तक आप जीवित रहते हैं, ये चक्र चलता रहता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार हम अपनी एक कीसदी कोशिकाएं रोज बदलते हैं, मतलब हीने में 30 फीसदी। सेल्स को इस तरह से खें तो लगभग तीन महीने बाद आप बिल्कुल ए होते हैं। ये भी इत्तेफाक है कि किसी नई बादत को अपनाने या लाइफस्टाइल बदलने तीन महीने का समय लगता है। पहले ज्ञानिक मानते थे कि दिमाग की सेल्स नहीं दलती। लेकिन दिमाग की सेल्स भी बदलती
हैं, ये निर्भर करता है कि आप क्या काम कर रहे हैं और कितने सकारात्मक हैं। आरामदायक जीवनशैली सेल्स की खराब होने की गति को बढ़ा देती है तो सक्रिय जीवनशैली सेल्स को तेजी से बदलती है। सायकोलॉजी बुलेटिन में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक हमारी भावनाएं सेल्स के लिए संकेतक का काम करती हैं। जहां नकारात्मकता सेल्स खराब करने का संकेत देती है, तो सकारात्मकता सेल्स की ग्रोथ अच्छी रखने का इशारा करती है। इस तरह सकारात्मक रहकर आप स्वस्थ जीवन बिता सकते हैं।