क्या प्रेम में स्वीकृति की आवश्कता है?
क्या प्रेम के इज़हार को बिना किसी प्रश्नवाचक चिन्ह जोड़े केवल इज़हार रखा जा सकता है?
आख़िर क्यों हम प्रेम के इज़हार के साथ अगले व्यक्ति को असमंजस की स्थिति में डाल देते हैं?
प्रेम में स्वीकृति, अस्वीकृति, और उपेक्षा जैसी बातों पर मेरे विचार जानने को आतुर हैं तो ज़रूर सुने और अपने विचार मुझसे साझा करें।
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