जीवन का नदी और जीवन के वृक्ष का दर्शन पाकर युहन्ना आत्म विभोर हो जाता है। येशु अपने आने के विषय में युहन्ना के द्वारा अपनी कलीसिया को प्रार्थना के लिए प्रेरित करते है।
यूहन्ना कलीसिया और संसार को प्रकाशितवाक्य में कुछ बढ़ाने या घटाने के विषय में आगाह करता है।