ग़ज़लों की रुमानियत को संजोए हुए, प्यार-मुहोबत- महबूब के ख्वाबों में खोया हुआ, सपनो की बातें करने वाला यह शायर अपने शेरों में वास्तविकता को भी साथ लेके चलता है। बशीर बद्र के पास ज़ख्म है, छाले हैं, तो उनसे निजात पाने की एक प्रैक्टिकल एप्रोच भी है। और यही खासियत उनको भीड़ से अलग पहचान देती है