यह एक बड़ी सुंदर सी देशभक्ति की कविता है, जिसमे एक फूल के मनोभाव को चित्रित किया गया है। उसके मन की इच्छा को, उसके दिल की ख्वाहिश को जाहिर किया गया है। उसकी इच्छा में उसके तमाम गुण- रूप, रस, सुंदरता, सुगंध - सब अदृश्य हो गए हैं, रह गई है सिर्फ कोमलता, जिसे वह देश के वीर सैनिकों की राहों में उनके पैरों के नीचे बिछा देना चाहता है ताकि उन्हें कोई कंकड़ कोई काँटा ना चुभे। ऐसी भावना अपने वीर सैनिको के लिए हम सभी देशवासियो के हृदय में भी हो यही इस कविता का मूल भाव है।