कल थी काशी, आज है बनारस

राजा हरीशचन्द्र ने स्वयं को डोम राजा को क्यों बेचा?


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सतयुग यानि सत्य का युग. जंहा सत्य ही सर्वोपरि है. उस युग में मानव मूल्य बहुत श्रेष्ठ थे. ऐसे समय में अयोध्या में एक राजा का शासन था. जिनका नाम था हरिश्चन्द्र. उनकी पत्नी तारा देवी और पुत्र रोहित. हरिश्चन्द्र जी की प्रजा बहुत खुश और संपन्न थी. राजा धर्म निष्ठा जो थे. एक बार स्वपन में किये कार्य को भी राजा ने जगने के बाद सच में प्रत्यक्ष रुप में पूर्ण किया. अपना सारा राजपाठ दान में दे दिया श्रृषि विश्वामित्र को. श्रृषि राजा के पास इश्वर आज्ञा पर राजा की परिक्षा लेने आये थे. राजा इस बात से अंजान थे. विश्वामित्र ने कुछ ऐसा मांगा जिसको पूरा करने के लिए राजा की पत्नी को जाती बनना पड़ा और राजा को भी स्वयं को दो स्वर्ण मुद्रा में डोम राज के यहाँ बिकना पड़ा. क्या राजा इस परिक्षा में सफल हुए. क्या आशीर्वाद मिला ईश्वर से उनको. सब जानने के लिए सुनिये बनारसी सिंह का पॉडकास्ट. सनातन शहर काशी के बनारस बनने की यात्रा' से जुड़ी रहस्यों भरी हजार कहानियाँ. हर हर महादेव.
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कल थी काशी, आज है बनारसBy Banarasi/singh