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राष्ट्र के नाम नहीं, गोदी सेठ के नाम संदेश


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राजनीतिक संरक्षण में पलने-बढ़ने वाले सेठों को आप बाक़ी सेठों की तरह नहीं देख सकते। इन सेठों की संपत्ति सरकार की संपत्ति से बढ़ती है। सरकार की मदद से बढ़ती है और ये सरकार के ही प्रतिनिधि होते हैं। इनके और सरकार के बीच अंतर करना मुश्किल होता है। इनका साम्राज्य काफी तेज़ी से बढ़ता है। मीडिया में अब बड़े-बड़े सेठ आ रहे हैं। ये सभी वही सेठ हैं जो अपने धंधे के लिए अब मीडिया का दूसरे तरीक़े से इस्तेमाल कर रहे हैं। आम आदमी को मीडिया से बाहर निकाल दिया गया है। उसकी आवाज़ ख़त्म कर दी गई है। सुप्रीम नेता की आवाज़ ही आम आदमी की आवाज़ हो गई है। इतने भी भोले मत बनिए कि सरकार के क़रीब रहने और दिखने वाले सेठों को आप बाक़ी सेठों से मिला रहे हैं। सभी एक जैसे होते हैं मगर उसमें कुछ ऐसे होते हैं जिनके जैसा कोई नहीं होता। वे सरकार के बाहर सरकार होते हैं। ऐसे सेठ को सामान्य सेठ मान लेना भूल होगी। उसके विस्तार से नज़र फेर लेना होगा। जिनमें उस सेठ की बात करने का साहस नहीं है, वे कहानी बना रहे हैं कि पहले भी तो सेठ था, अब भी तो सेठ है, बदला क्या। ऐसे विद्वान लोग जानते हुए भी मूर्ख बना रहे हैं।

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Ravish Kumar AudioBy Ravish Kumar