अकबर रिजवी की कविता जिसका शीर्षक हमने दिया है तो ईद समझूंगा सहयोग डॉक्टर शैलेंद्र रंगमंच हिंदी पट्टी पटना बिहार के रंगमंच के अति सहयोगी व्यक्तित्व राष्ट्र का शौर्य इन कविताओं के तथ्यों के बिना अधूरा और अतृप्त है आप कृपया इसे ध्यान से सुने और अपनी अभिव्यक्ति हमें दें और अगर दिल को वाकई आवाज छू जाए शब्द आपको अपना सा लगे तो इसे ज्यादा से ज्यादा हर किसी के पास दुनिया के हर शख्स तक इसे पहुंचाने में हमारा सहयोग करें अपना प्यार मानवता के लिए इस तरह लुटाए धन्यवाद आपका मनोज मानव