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रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र। #shivtandavstotrm


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रावण भगवान् शिव का परम भक्त था। उसने भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए कैलाश पर्वत को अपने हाथो में उठा लिया था। रावण शिव शंकर की अपार शक्ति में लीन तो रहता था, लेकिन वह अहंकारी भी था। रावण का अहंकार कम करने के लिए भगवन भोलेनाथ ने कैलाश पर्वत पर अपना पैर रख दिया। जिससे पर्वत का भार इतना बढ़ गया के रावण से सहा नहीं गया। और वो कैलाश पर्वत के निचे दब गया। रावण की पीड़ा असहनीय होती जा रही थी। इसी मुसीबत को दूर करने के लिए रावण ने उसी वक्त शिवतांडव स्त्रोत्र की रचना कर डाली। और इसे भगवान् शिव को सुनाया।
भगवान् शिव रावण की इस स्तुति से प्रसन्न हुवे और वरदान देने के साथ ही उसके सभी कष्टों को दूर किया। रावण ने जिस जगह कैलास पर्वत पर जिस पहाड़ के निचे दबे हुवे शिव तांडव स्त्रोत्र गाया था। आज भी वह स्थान कैलास पर्वत पर स्थित है।
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