इस एपिसोड में जानिए कैसे लक्ष्मण ने मेघनाद का यज्ञ खंडित करके उसका वध किया और रामायण के युद्ध को निर्णायक मोड़ पर पहुंचा दिया। निकुम्बला माता के मंदिर में मेघनाद का यज्ञ उसे अमर और अजेय बना सकता था, लेकिन विभीषण की चेतावनी पर लक्ष्मण ने इसे पूरा नहीं होने दिया।
मेघनाद के अंत की खबर जब रावण तक पहुंची, तो उसका क्रोध चरम पर था। रावण, जो शिव तांडव स्तोत्र का असली रचयिता था, ने अपने पुत्र की मृत्यु का प्रतिशोध लेने का प्रण लिया। उसने कहा कि जब तक महाविनाश नहीं होगा, वह शांत नहीं बैठेगा।
श्रीराम के शिविर में जहां विजय का उत्सव मनाया जा रहा था, वहीं प्रभु श्रीराम भी किसी अज्ञात आशंका से चिंतित हो उठे। क्या रावण का यह तांडव विनाश की शुरुआत थी?
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