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यह ऋग्वेद के प्रथम मण्डल का प्रथम सूक्त है| इस सूक्त में ईश्वर ने अपने स्वरूप को प्रकाशित किया है तथा अग्नि और वायु के गुणों की भी इस सूक्त में विवेचना की है|
यह ऋग्वेद के प्रथम मण्डल का प्रथम सूक्त है| इस सूक्त में ईश्वर ने अपने स्वरूप को प्रकाशित किया है तथा अग्नि और वायु के गुणों की भी इस सूक्त में विवेचना की है|